नयी दिल्ली
: अफजल गुरु को राजनीतिक कारणों से फांसी
दी गयी हैं और इस निर्णय के बारे में मुझे कुछ ही घंटे पहले जानकारी दी गयी थी.
उक्त बातेंजम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज कही. उन्होंने बताया कि उमर अपनी बहन के साथ दिल्ली
के एक रेस्तरां में रात का भोजन कर रहे थे और उसी दौरान तत्कालीन गृह मंत्री सुशील
कुमार शिंदे का फोन आया कि
उन्होंने गुरु के कागजात पर हस्ताक्षर कर दिया है और
अगली सुबह उसे फांसी दी जायेगी तथा ऐसे में वह जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था
बनाये रखने का इंतजाम करें. उस समय उमर मुख्यमंत्री थे.
उमर ने कहा, मैंने उस वक्त गृह मंत्री से पूछा कि क्या वह पूरी तरह निश्चित हैं कि अब कुछ
नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि नहीं क्योंकि वह कागजात पर हस्ताक्षर कर चुके
हैं और वारंट जारी किया जा चुका है तथा मुझे इसके बाद के प्रभावों से निपटने के
लिए कहा. उन्होंने यह संकेत करते हुए कि
राजीव गांधी और बेअंत सिंह के हत्यारों के मामलों को अलग -अलग ढंग से निपटाया गया , कहा, सच यह है ,चाहें हम इसे पसंद करंे या नहीं ,कि उसे राजनीतिक कारणों से फांसी दी गयी.
उन्होंने कहा, मैंने कहा था कि मैं तब तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा जब तक यह नहीं देख
लेता कि सरकार ने दूसरे मामलों को कैसे निपटाया.....मैंने दूसरे मामलों को देखा.
देखिए कि उन्होंने बेअंत सिंह और राजीव गांधी के हत्यारों के मामलों को कैसे
निपटाया और किस तरह इस व्यक्ति को बिना बारी के फांसी दे दी. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, स्पष्ट रूप से आप इसके अलावा दूसरा निष्कर्ष क्या निकाल सकते हैं कि वे भाजपा
के हाथों अपनी हार से बचना चाहते थे और इसलिए दो लोगों को फांसी दिया जाना सबसे
आसान था. पहला अजमल कसाब को फांसी दी क्योंकि वह विदेशी नागरिक था और दूसरा अफजल
गुरु था. चाहे मैं इसे पसंद करूं या नहीं लेकिन उन्होंने ऐसा किया.. सौजन्यः प्रभात
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