जम्मू: पीएम नरेंद्र मोदी एक दिन के दौरे पर जम्मू पहुंचे। यहां उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर के दिवंगत नेता गिरधारीलाल डोगरा की जन्मशती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भाग लिया।
यहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद की राजनीतिक संस्कृति पर आज चुटकी ली और भूमि सौदों के कारण विवाद में आए सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा नाम लिए बिना कहा कि आज हम जानते हैं कि दामादों के कारण क्या-क्या बातें होती हैं। उन्होंने छुआछूत की राजनीति को भी अस्वीकार करते हुए कहा कि राष्ट्रीय विरासतों को इस आधार पर बांटा नहीं जाना चाहिए।
जोरावर सिंह स्टेडियम में आयोजित कांग्रेस के दिग्गज दिवंगत नेता गिरधारी लाल डोगरा जन्मशती समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, दामाद, ससुर के कारण नहीं और ससुर दामाद के कारण नहीं जाने जाते। वरना इतने समय में कभी तो अरुण (वित्त मंत्री अरुण जेटली) जी का मन किया होगा.. लेकिन दोनों ने एक दूसरे को इससे अलग रखा। आज तो हम जानते हैं कि दामादों के कारण क्या-क्या बातें होती हैं। उल्लेखनीय है कि जेटली गिरधारी लाल के दामाद हैं।
सार्वजनिक जीवन में मर्यादा के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने ने कहा कि हम किस दल के हैं, किस विचाराधारा के हैं, इससे सार्वजनिक जीवन नहीं चलता है, राजनीति में छुआछूत नहीं होता, बल्कि देश के लिए मरने जीने वालों का सम्मान होता है। हम जो बाद की पीढ़ी के लोग हैं, उनका दायित्व है कि हम अपनी विरासत को बंटने नहीं दें। इसमें भेदभाव, छुआछूत न करें, सभी महापुरुषों का सम्मान करें। उन्होंने कहा, आज के राजनीतिक जीवन के लिए यह संदेश है। किसी भी नेता का जन्मशती मनाना ऐसा संदेश है, जो आज नजर नहीं आता है। गिरधारी लाल जी ने जीवन में पल-पल मर्यादाओं का पालन किया।
परिवारवाद पर चोट करते हुए मोदी ने कहा, मैंने राजनीति से जुड़ी उनकी (गिरधारी लाल) जितनी तस्वीर देखी है, उसमें उनके परिवार का एक भी व्यक्ति नजर नहीं आया। इतने लम्बे समय तक सार्वजनिक जीवन और सत्ता के गलियारे में रहने तथा देश के शुरुआती सभी प्रधानमंत्रियों से निकट संबंध होने के बाद भी एक भी तस्वीर में परिवार का कोई सदस्य नजर नहीं आया। सिर्फ अंत्येष्टि की तस्वीर में परिवार के सदस्य थे।
मोदी ने कहा कि गिरधारी लाल सार्वजनिक जीवन में देशभक्ति की प्रेरणा से आए थे, ‘तब आए थे, जब लेना, पाना, बनना कोई मायने नहीं रखता था। छुआछूत की राजनीति पर प्रहार जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि डोगरा साहब को व्यक्तियों की परख बहुत थी। इसलिए उन्होंने गुलाम नबी आजाद (अभी राज्यसभा में विपक्ष के नेता) को तब कांग्रेस युवा मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया था। इसका उदाहरण है, उन्होंने जो दामाद चुने..वरना अरुण जी (जेटली) के विचार और उनके विचार में कोई मेल नहीं था। उन्होंने कहा कि गिरधारी लाल जम्मू-कश्मीर के कद्दावर नेता थे, जिन्होंने वहां के वित्तमंत्री के रूप में 26 बार बजट पेश किया। ऐसा मौका उस व्यक्ति को ही मिलता है जिसका राजनीतिक जीवन सभी के समक्ष स्वीकृत और पारदर्शी हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आज दो या तीन पीढ़ियां ऐसी होंगी जो यह कहती हैं कि उन्हें गिरधारी लाल जी का अंगुली पकड़कर चलने का मौका मिला। उन्होंने कार्यकर्ताओं की ऐसी परंपरा तैयार की जो आगे चलकर स्वच्छ राजनीति के पथ पर आगे बढ़े।
समारोह में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह, गुलाम नबी आजाद आदि मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आमतौर पर बहुत कम राजनीतिक ऐसे होते हैं, जो मरने के बाद भी जीवित रहते हैं। कुछ ही समय में भुला दिए जाते हैं। लोग भी उन्हें भूल जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे अपवाद होते हैं, जो अपने कार्यकाल में जैसा काम करते हैं, जिस प्रकार का जीवन जीते हैं, उसके कारण मृत्यु के काफी समय बाद भी लोगों के जेहन में बने रहते हैं, गिरधारी लाल जी ऐसे ही नेता थे।
सूत्रों के हवाले से ख़बर है पीएम इस यात्रा के दौरान जम्मू कश्मीर के लिए 70 हज़ार करोड़ रुपये के विशेष पैकेज का ऐलान कर सकते हैं। प्रधानमंत्री अपनी इस यात्रा के दौरान जम्मू में AIIMS की शाखा का भी उदघाटन कर सकते हैं।
भाषण के मुख्य अंश -
यह गिरधारीलाल जी की जन्मशती है।
आजकल राजनैतिक माहौल इस तरह का है कि मृत्यु हो जाने के बाद कुछ ही नेता हैं, जिन्हें याद किया जाता है।
कुछ नेता ऐसे होते हैं, जो अपनी जीवनचर्या के कारण अमर हो जाते हैं - गिरधारीलाल जी उन्हीं नेताओं में से हैं, जिनकी यादें हमेशा रहेंगी।
गिरधारीलाल जी की तस्वीरों में उनके परिवार का कोई भी सदस्य कभी दिखाई नहीं दिया।
यह बहुत बड़ी बात है कि इतना लंबा राजनैतिक जीवन होने, सत्ता में रहने, और प्रधानमंत्रियों से घनिष्ठ संबंध होने के बावजूद उनकी किसी तस्वीर में कोई परिजन नहीं दिखता।
उनके परिवार को सिर्फ एक तस्वीर में देखा जा सकता है, जो उनकी अंत्येष्टि की है।
यह आज के राजनेताओं के लिए एक संदेश है।
गिरधारीलाल जी को व्यक्ति की समझ और पहचान थी।
उन्होंने गुलाम नबी आज़ाद को युवक कांग्रेस का नेता नियुक्त किया।
एक उदाहरण है उनका दामाद, जो उन्होंने चुना (वित्तमंत्री अरुण जेटली गिरधारीलाल डोगरा के दामाद हैं)
यहां हम देखते हैं, दामाद या ससुर ने प्रसिद्धि और पहचान के लिए एक-दूसरे का सहारा नहीं लिया।
लेकिन हम जानते हैं, आजकल राजनीति में दामादों के बारे में कैसी-कैसी बातें सुनने को मिलती हैं।
सौजन्य: NDTV
यहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवाद की राजनीतिक संस्कृति पर आज चुटकी ली और भूमि सौदों के कारण विवाद में आए सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा नाम लिए बिना कहा कि आज हम जानते हैं कि दामादों के कारण क्या-क्या बातें होती हैं। उन्होंने छुआछूत की राजनीति को भी अस्वीकार करते हुए कहा कि राष्ट्रीय विरासतों को इस आधार पर बांटा नहीं जाना चाहिए।
जोरावर सिंह स्टेडियम में आयोजित कांग्रेस के दिग्गज दिवंगत नेता गिरधारी लाल डोगरा जन्मशती समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, दामाद, ससुर के कारण नहीं और ससुर दामाद के कारण नहीं जाने जाते। वरना इतने समय में कभी तो अरुण (वित्त मंत्री अरुण जेटली) जी का मन किया होगा.. लेकिन दोनों ने एक दूसरे को इससे अलग रखा। आज तो हम जानते हैं कि दामादों के कारण क्या-क्या बातें होती हैं। उल्लेखनीय है कि जेटली गिरधारी लाल के दामाद हैं।
सार्वजनिक जीवन में मर्यादा के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने ने कहा कि हम किस दल के हैं, किस विचाराधारा के हैं, इससे सार्वजनिक जीवन नहीं चलता है, राजनीति में छुआछूत नहीं होता, बल्कि देश के लिए मरने जीने वालों का सम्मान होता है। हम जो बाद की पीढ़ी के लोग हैं, उनका दायित्व है कि हम अपनी विरासत को बंटने नहीं दें। इसमें भेदभाव, छुआछूत न करें, सभी महापुरुषों का सम्मान करें। उन्होंने कहा, आज के राजनीतिक जीवन के लिए यह संदेश है। किसी भी नेता का जन्मशती मनाना ऐसा संदेश है, जो आज नजर नहीं आता है। गिरधारी लाल जी ने जीवन में पल-पल मर्यादाओं का पालन किया।
परिवारवाद पर चोट करते हुए मोदी ने कहा, मैंने राजनीति से जुड़ी उनकी (गिरधारी लाल) जितनी तस्वीर देखी है, उसमें उनके परिवार का एक भी व्यक्ति नजर नहीं आया। इतने लम्बे समय तक सार्वजनिक जीवन और सत्ता के गलियारे में रहने तथा देश के शुरुआती सभी प्रधानमंत्रियों से निकट संबंध होने के बाद भी एक भी तस्वीर में परिवार का कोई सदस्य नजर नहीं आया। सिर्फ अंत्येष्टि की तस्वीर में परिवार के सदस्य थे।
मोदी ने कहा कि गिरधारी लाल सार्वजनिक जीवन में देशभक्ति की प्रेरणा से आए थे, ‘तब आए थे, जब लेना, पाना, बनना कोई मायने नहीं रखता था। छुआछूत की राजनीति पर प्रहार जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि डोगरा साहब को व्यक्तियों की परख बहुत थी। इसलिए उन्होंने गुलाम नबी आजाद (अभी राज्यसभा में विपक्ष के नेता) को तब कांग्रेस युवा मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया था। इसका उदाहरण है, उन्होंने जो दामाद चुने..वरना अरुण जी (जेटली) के विचार और उनके विचार में कोई मेल नहीं था। उन्होंने कहा कि गिरधारी लाल जम्मू-कश्मीर के कद्दावर नेता थे, जिन्होंने वहां के वित्तमंत्री के रूप में 26 बार बजट पेश किया। ऐसा मौका उस व्यक्ति को ही मिलता है जिसका राजनीतिक जीवन सभी के समक्ष स्वीकृत और पारदर्शी हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आज दो या तीन पीढ़ियां ऐसी होंगी जो यह कहती हैं कि उन्हें गिरधारी लाल जी का अंगुली पकड़कर चलने का मौका मिला। उन्होंने कार्यकर्ताओं की ऐसी परंपरा तैयार की जो आगे चलकर स्वच्छ राजनीति के पथ पर आगे बढ़े।
समारोह में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह, गुलाम नबी आजाद आदि मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आमतौर पर बहुत कम राजनीतिक ऐसे होते हैं, जो मरने के बाद भी जीवित रहते हैं। कुछ ही समय में भुला दिए जाते हैं। लोग भी उन्हें भूल जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे अपवाद होते हैं, जो अपने कार्यकाल में जैसा काम करते हैं, जिस प्रकार का जीवन जीते हैं, उसके कारण मृत्यु के काफी समय बाद भी लोगों के जेहन में बने रहते हैं, गिरधारी लाल जी ऐसे ही नेता थे।
सूत्रों के हवाले से ख़बर है पीएम इस यात्रा के दौरान जम्मू कश्मीर के लिए 70 हज़ार करोड़ रुपये के विशेष पैकेज का ऐलान कर सकते हैं। प्रधानमंत्री अपनी इस यात्रा के दौरान जम्मू में AIIMS की शाखा का भी उदघाटन कर सकते हैं।
भाषण के मुख्य अंश -
यह गिरधारीलाल जी की जन्मशती है।
आजकल राजनैतिक माहौल इस तरह का है कि मृत्यु हो जाने के बाद कुछ ही नेता हैं, जिन्हें याद किया जाता है।
कुछ नेता ऐसे होते हैं, जो अपनी जीवनचर्या के कारण अमर हो जाते हैं - गिरधारीलाल जी उन्हीं नेताओं में से हैं, जिनकी यादें हमेशा रहेंगी।
गिरधारीलाल जी की तस्वीरों में उनके परिवार का कोई भी सदस्य कभी दिखाई नहीं दिया।
यह बहुत बड़ी बात है कि इतना लंबा राजनैतिक जीवन होने, सत्ता में रहने, और प्रधानमंत्रियों से घनिष्ठ संबंध होने के बावजूद उनकी किसी तस्वीर में कोई परिजन नहीं दिखता।
उनके परिवार को सिर्फ एक तस्वीर में देखा जा सकता है, जो उनकी अंत्येष्टि की है।
यह आज के राजनेताओं के लिए एक संदेश है।
गिरधारीलाल जी को व्यक्ति की समझ और पहचान थी।
उन्होंने गुलाम नबी आज़ाद को युवक कांग्रेस का नेता नियुक्त किया।
एक उदाहरण है उनका दामाद, जो उन्होंने चुना (वित्तमंत्री अरुण जेटली गिरधारीलाल डोगरा के दामाद हैं)
यहां हम देखते हैं, दामाद या ससुर ने प्रसिद्धि और पहचान के लिए एक-दूसरे का सहारा नहीं लिया।
लेकिन हम जानते हैं, आजकल राजनीति में दामादों के बारे में कैसी-कैसी बातें सुनने को मिलती हैं।
सौजन्य: NDTV