नई दिल्ली :
बजरंगी भाईजान एक ऐसा मेलोड्रामा है जिसमें एक परम्परावादी व्यक्ति
परम्पराओं, समाज, कानून ,सुरक्षा और कट्टर राष्ट्रवाद से लड़ते हुए छह साल
की एक मूक पाकिस्तानी लड़की को उसके गांव पहुंचाता है। यह फिल्म पहले की ही
तरह पूरी तरह से सलमान खान के इर्द गिर्द घूमती है ।
फिल्म में सलमान खान अपनी पिछली फिल्मों की तरह न तो रोमांचक संवाद बोलते दिखे हैं न ही स्टंट सड़क पर विलेन के साथ लड़ाई करते। फिल्म में सलमान का बिना शर्ट का एक भी दृश्य नहीं है। हालांकि एक आध दृश्य में जब लड़की की सुरक्षा को खतरा पैदा होता है ,वहां उन्हें बल इस्तेमाल करते देखा जा सकता है । जहां यह फिल्म एक ओर सलमान के पक्के प्रशंसकों को थोड़ा निराश कर सकती है वहीं इस फिल्म को देखने के बाद सलमान के कुछ नए प्रशंसक भी बन सकते हैं।
इस फिल्म में सलमान एक बेहद अलग अंदाज में दिखे हैं, पर यह अंदाज लोगों के दिलों में कितनी जगह बना पाता है यह आने वाले समय में फिल्म को लोगों से मिलने वाली प्रतिक्रिया से ही साफ हो पाएगा। बजरंगी भाईजान की कहानी की शुरूआत पाकिस्तान के एक गांव में होती है जहां एक बच्ची का जन्म हुआ है । छह साल बाद यह बच्ची शाहिदा (हर्षाली मल्होत्रा) समझौता एक्सप्रेस में सफर के दौरान भारत में ही छूट जाती है।
शाहिदा बोलने में अक्षम हैं, वह भारत में बजरंग बली के भक्त पवन कुमार चतुर्वेदी (सलमान खान) को मिल जाती है। जिसके बाद वह उसे मुन्नी कहना शुरू कर देते हैं। यहीं से फिल्म की असली कहानी शुरू होती है जिसमें पवन समाज और कानून से लड़ते हुए और अपनी जान पर खेलते हुए मुन्नी को उसके पाकिस्तान स्थित गांव पहुंचाने के लिए जद्दोजहद करता है। उनके इस कठिन लक्ष्य को पूरा करने में उनकी प्रेमिका रसिका (करीना कपूर) भी उनकी मदद करती है। पवन प्रतापगढ़ से दिल्ली आने के बाद से रसिका के घर में ही रहते हैं। जहां उसे रसिका से प्यार हो जाता है।
इंटरवल के बाद चांद नवाब (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की एंट्री से फिल्म को एक नया जोश मिलता है। नवाब एक पाकिस्तानी पत्रकार हैं जो मुन्नी को उसके घर पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मुन्नी को उसके घर पहुंचाने के इस सफर में पवन और नवाब के बीच कई मजेदार दृश्य भी हैं। फिल्म सलमान खान की अन्य फिल्मों की तरह भले ही मसोलदार नहीं है पर फिल्म में हर्षाली मल्होत्रा की बिना कुछ कहे सब कुछ कह जाने वाली लाजवाब अदाकारी आकषर्ण का केंद्र जरूर है। हर्षाली के जबरदस्त एवं सहज अभिनय और फिल्म के कट्टर राष्ट्रवाद के खिलाफ दिए संदेश के लिए आप यह फिल्म देख सकते हैं।
सौजन्य: Zee News
फिल्म में सलमान खान अपनी पिछली फिल्मों की तरह न तो रोमांचक संवाद बोलते दिखे हैं न ही स्टंट सड़क पर विलेन के साथ लड़ाई करते। फिल्म में सलमान का बिना शर्ट का एक भी दृश्य नहीं है। हालांकि एक आध दृश्य में जब लड़की की सुरक्षा को खतरा पैदा होता है ,वहां उन्हें बल इस्तेमाल करते देखा जा सकता है । जहां यह फिल्म एक ओर सलमान के पक्के प्रशंसकों को थोड़ा निराश कर सकती है वहीं इस फिल्म को देखने के बाद सलमान के कुछ नए प्रशंसक भी बन सकते हैं।
इस फिल्म में सलमान एक बेहद अलग अंदाज में दिखे हैं, पर यह अंदाज लोगों के दिलों में कितनी जगह बना पाता है यह आने वाले समय में फिल्म को लोगों से मिलने वाली प्रतिक्रिया से ही साफ हो पाएगा। बजरंगी भाईजान की कहानी की शुरूआत पाकिस्तान के एक गांव में होती है जहां एक बच्ची का जन्म हुआ है । छह साल बाद यह बच्ची शाहिदा (हर्षाली मल्होत्रा) समझौता एक्सप्रेस में सफर के दौरान भारत में ही छूट जाती है।
शाहिदा बोलने में अक्षम हैं, वह भारत में बजरंग बली के भक्त पवन कुमार चतुर्वेदी (सलमान खान) को मिल जाती है। जिसके बाद वह उसे मुन्नी कहना शुरू कर देते हैं। यहीं से फिल्म की असली कहानी शुरू होती है जिसमें पवन समाज और कानून से लड़ते हुए और अपनी जान पर खेलते हुए मुन्नी को उसके पाकिस्तान स्थित गांव पहुंचाने के लिए जद्दोजहद करता है। उनके इस कठिन लक्ष्य को पूरा करने में उनकी प्रेमिका रसिका (करीना कपूर) भी उनकी मदद करती है। पवन प्रतापगढ़ से दिल्ली आने के बाद से रसिका के घर में ही रहते हैं। जहां उसे रसिका से प्यार हो जाता है।
इंटरवल के बाद चांद नवाब (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की एंट्री से फिल्म को एक नया जोश मिलता है। नवाब एक पाकिस्तानी पत्रकार हैं जो मुन्नी को उसके घर पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मुन्नी को उसके घर पहुंचाने के इस सफर में पवन और नवाब के बीच कई मजेदार दृश्य भी हैं। फिल्म सलमान खान की अन्य फिल्मों की तरह भले ही मसोलदार नहीं है पर फिल्म में हर्षाली मल्होत्रा की बिना कुछ कहे सब कुछ कह जाने वाली लाजवाब अदाकारी आकषर्ण का केंद्र जरूर है। हर्षाली के जबरदस्त एवं सहज अभिनय और फिल्म के कट्टर राष्ट्रवाद के खिलाफ दिए संदेश के लिए आप यह फिल्म देख सकते हैं।
सौजन्य: Zee News