कई कामों ऎसे होते है जिन्हे जानने के बाद इन बातों को छोड़ना या इनसे बाहर निकलना जरूरी है। ऐसा करने चुनौतियों से लड़ना आसान हो जयेगा
1. कई बार सोचते रहना कि जो होगा वे आसान ही होगा या फिर इस चीज़ की उम्मीद लगाए बैठना कि सब कुछ मेरे अनुसार होगा। इन बातों के बारे में सोचना छोड़िये.
2. हर वक्त कुछ न कुछ नया सीखते रहे । हर दिन नई शुरुआत की तरह है। अभी ही कोई नया बदलाव लाया जा सकता है। कभी खुद को यह मत कहिए कि आप रुक गए हैं। क्योंकि ऐसा कभी नहीं होता है।
3. अपनी तुलना दूसरों के साथ करना। यह सबसे गंभीर एडिक्शन है। इससे जल्दी बाहर आना जरूरी है।
4. दूसरों के सामने तो कहते हैं कि यह जिंदगी मेरी है। इससे जुड़ा हर फैसला आप खुद करते हैं। इतना कहने का बाद चुपके-चुपके दूसरों की अनुमति का इंतज़ार करना गलत है।
5. दूसरों द्वारा कही हर बात को निजी तौर पर लेना और उसे लेकर ड्रामेटिक हो जाना। यानी किसी ने कुछ कहा तो उसे सुनते ही आप रिएक्ट करने लग जाते हैं। लड़ते हैं। खुद परेशान होते हैं और दूसरों को भी परेशान करने लग जाते हैं।
6. आप दूसरों के साथ तो बहुत प्यार करते हैं, लेकिन जब खुद को प्यार करने की बारी आती है तो कंजूस बन जाते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि जितना प्यार और स्नेह आप दूसरों को करते हैं, उतना ही प्यार खुद को भी करिए। अपने विचारों की इज्जत करिए। उन्हें पसंद करिए। इसका नतीजा यह होगा कि आपका जीवन में आगे बढ़ना आसान हो जाएगा।
7. इस बात पर विश्वास करने लग जाना कि हमारे पास दूसरों को देने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। जबकि हकीकत यह है कि दूसरों को सिर्फ पैसे दिए जाएं, यह जरूरी नहीं है। आप उन्हें अपना कीमती वक्त या प्यार, अपनापन भी देसकतेहैं।
8. सोचना अच्छी बात है, लेकिन हर वक्त सोचते रहना गलत है हर वक्त सोचने से दिमाग में अजीब विचार आने लग जाते हैं।
9. इस बारे में सिर्फ ख्वाब देखना कि आप क्या बन सकते हैं या आप कहां तक पहुंच सकते हैं।ख्वाब को हासिल करने के लिए कदम बढ़ाना चाहिए .
1. कई बार सोचते रहना कि जो होगा वे आसान ही होगा या फिर इस चीज़ की उम्मीद लगाए बैठना कि सब कुछ मेरे अनुसार होगा। इन बातों के बारे में सोचना छोड़िये.
2. हर वक्त कुछ न कुछ नया सीखते रहे । हर दिन नई शुरुआत की तरह है। अभी ही कोई नया बदलाव लाया जा सकता है। कभी खुद को यह मत कहिए कि आप रुक गए हैं। क्योंकि ऐसा कभी नहीं होता है।
3. अपनी तुलना दूसरों के साथ करना। यह सबसे गंभीर एडिक्शन है। इससे जल्दी बाहर आना जरूरी है।
4. दूसरों के सामने तो कहते हैं कि यह जिंदगी मेरी है। इससे जुड़ा हर फैसला आप खुद करते हैं। इतना कहने का बाद चुपके-चुपके दूसरों की अनुमति का इंतज़ार करना गलत है।
5. दूसरों द्वारा कही हर बात को निजी तौर पर लेना और उसे लेकर ड्रामेटिक हो जाना। यानी किसी ने कुछ कहा तो उसे सुनते ही आप रिएक्ट करने लग जाते हैं। लड़ते हैं। खुद परेशान होते हैं और दूसरों को भी परेशान करने लग जाते हैं।
6. आप दूसरों के साथ तो बहुत प्यार करते हैं, लेकिन जब खुद को प्यार करने की बारी आती है तो कंजूस बन जाते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि जितना प्यार और स्नेह आप दूसरों को करते हैं, उतना ही प्यार खुद को भी करिए। अपने विचारों की इज्जत करिए। उन्हें पसंद करिए। इसका नतीजा यह होगा कि आपका जीवन में आगे बढ़ना आसान हो जाएगा।
7. इस बात पर विश्वास करने लग जाना कि हमारे पास दूसरों को देने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। जबकि हकीकत यह है कि दूसरों को सिर्फ पैसे दिए जाएं, यह जरूरी नहीं है। आप उन्हें अपना कीमती वक्त या प्यार, अपनापन भी देसकतेहैं।
8. सोचना अच्छी बात है, लेकिन हर वक्त सोचते रहना गलत है हर वक्त सोचने से दिमाग में अजीब विचार आने लग जाते हैं।
9. इस बारे में सिर्फ ख्वाब देखना कि आप क्या बन सकते हैं या आप कहां तक पहुंच सकते हैं।ख्वाब को हासिल करने के लिए कदम बढ़ाना चाहिए .